समग्र कृषि विकास की राष्ट्रीय योजना – आत्मा (ATMA)
समग्र कृषि विकास की राष्ट्रीय योजना – आत्मा (ATMA)
कृषि प्रसार में शासकीय विभागों के साथ-साथ विभिन्न अशासकीय संस्थाओं, गैर शासकीय संगठनों,कृषि उद्यमियों
की भागीदारी बढ़ाना।
- कृषि और संबंधित विभागों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि अनुसंधान केन्द्रों में समन्वय स्थापित करसाथ-साथ कार्य करना तथा कृषि विकास की कार्य योजना तैयार करना।
- समन्वित कृषि पद्वति (कृषि , उद्यानिकी, पशुपालन जैसे सहायक व्यवसायों को एक साथ अपनाना)अर्थात् कृषि पद्वति पर आधारित कृषि प्रसार सुनिश्चित करना।
- कृषि विस्तार हेतु सामूहिक प्रयास करना। फसल या रूचि पर आधारित कृषकों के समूह की उनकीजरूरत के अनुसार क्षमता विकसित करना।
- अन्य विभागीय योजनाओं में विस्तार सम्बंधी प्रावधान न होने पर उसका सपोर्ट टू स्टेट एक्सटेंशनप्रोग्राम्स फॉर एक्सटेंशन रिफॉर्म्स योजना में समावेश करना।
- महिला कृषकों को समूह के रूप में संगठित करना और कृषि के क्षेत्र में उनकी क्षमता बढ़ाना।
- किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और विस्तार कार्यकर्ताओं के बीच में बेहतर तालमेल स्थापित करना।
योजना की विशेषताए –
- जमीनी स्तर से कार्य योजना तैयार करना तथा उसे प्रस्तुत करना।
- किसानों की जरूरत के अनुरूप गतिविधियों का चयन करना तथा उन्हें क्रियान्वित करना।
- कार्य योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन में किसानों की भागीदारी बढ़ाना।
- कार्य प्रणाली में लचीलापन होना और निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण करना।
- एकल खिड़की प्रणाली द्वारा कृषि विस्तार करना।
- कृषि विस्तार सेवाओं को टिकाऊ बनाने के लिए हितग्राहियों से 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करना।
कृषक पुरस्कार –
कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों को प्रति वर्षपुरस्कृत किया जाता हैः
- राज्य स्तर पर -10 उत्कृष्ट कृषकों को, 50 हजार रुपये प्रति कृषक का पुरस्कार।
- जिला स्तर पर -10 उत्कृष्ट कृषकों को, 25 हजार रुपये प्रति कृषक का पुरस्कार।
- विकास खण्ड स्तर पर -5 उत्कृष्ट कृषकों को, 10 हजार रुपये प्रति कृषक का पुरस्कार ।
कृषक समूह पुरस्कार –
कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषक समूहों को जिला स्तर पर पुरस्कृत करने का प्रावधान है, जिसमें प्रति वर्ष पांच कृषक समूहों को 20 हजार रुपये प्रति समूह की दर से पुरस्कृतकिया जाता है। इसमें प्रत्येक जिले से प्रति वर्ष पांच कृषक समूह पुरस्कृत किये जाते हैं।